इन दिनों चारों ओर साढ़े छह किलो वजन वाली बच्ची की ही चर्चा है. कर्नाटक में जन्मी ये बच्ची दुनिया की सबसे वजनी बच्ची है लेकिन क्या आपने गौर किया बच्ची की मां महज 19 साल की ही है. एक ओर जहां बच्ची का वजन वर्ल्ड रिकॉर्ड है वहीं उसकी बच्ची की मां नंदिनी की उम्र पर भी चर्चा हो रही है.
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लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया की सबसे छोटी मां ने किस उम्र में बच्चे को जन्म दिया था? आपके लिए यकीन करना मुश्किल होगा लेकिन सच्चाई यही है कि दुनिया की सबसे छोटी मां ने महज पांच साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया था.
लीना मेडिना का जन्म 27 सितंबर 1933 को पेरू के एक छोटे से गांव तिकरापो में हुआ था. लीना दुनिया की सबसे कम उम्र की डॉक्यूमेंटेड मां हैं. लीना एक रेयर कंडिशन precocious puberty के साथ जन्मी थीं. ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें जननांग बहुत जल्दी विकसित हो जाते हैं. आमतौर पर लड़कियों में जननांगों का विकास 10 साल की उम्र में शुरू होता है और लड़कों में 11-12 साल में लेकिन लीना को आठवें महीने से ही पीरियड्स होना शुरू हो गए थे. चार साल की उम्र में ही उनके ब्रेस्ट पूरी तरह विकसित हो गए थे.
जब लीना पांच साल की हुईं तो अचानक उनका पेट बढ़ने लगा. उनकी मां विक्टोरिया को लगा कि उनकी बेटी के पेट में ट्यूमर हो गया है. या उनकी बेटी पर किसी बुरी आत्मा का साया है. वो लीना को लेकर अस्पताल पहुंची.
अस्पताल में लीना की जांच की गई और परिणाम ने वहां मौजूद लोगों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया. पांच साल की बच्ची, जो खुद अपनी मां के हाथ से निवाला खाती थी, प्रेग्नेंट थी...वो एक बच्चे को जन्म देने वाली थी. जिस समय लीना अस्पताल पहुंचीं वो आठ माह की गर्भवती थीं.
डॉक्टर गेराल्डो लोजाडा ने लीना का केस अपने हाथ में लिया. 14 मई 1939 को लीना ने एक स्वस्थ और लगभग छह पौंड के वजन वाले बच्चे को जन्म दिया. मां के जननांग का आकार छोटा था इसलिए सर्जरी से ही डिलीवरी की गई. उस समय लीना की उम्र पांच साल सात महीने और 17 दिन थी. इत्तेफाक की बात ये थी 1939 में जिस दिन लीना मां बनीं, उसी दिन मदर्स डे भी था.
लीना के डॉक्टर के सम्मान में बच्चे का नाम भी गेराल्डो रखा गया. ये बच्चा 40 वर्ष की उम्र तक जिंदा रहा लेकिन बोन मैरो की बीमारी हो जाने की वजह से 1979 में उसकी मौत हो गई. कई साल तक तो गेराल्डो, लीना को अपनी बहन ही मानते रहे. लेकिन जब वो 10 साल के हुए तो उन्हें अपनी मां की सच्चाई पता चली.
लीना ने कभी भी अपने बच्चे के पिता का नाम नहीं बताया. लीना की हालत को देखते हुए उनके पिता को ही आरोपी माना गया. वो गिरफ्तार भी हुए लेकिन सुबूतों के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया.गया. वहीं लीना से जब भी इस बाबत पूछा जाता वो शांत हो जाती और कुछ भी नहीं बोलती. मानो उसे कुछ पता ही नहीं...याद ही नहीं.
लीना ने खुद को भी संभाला और अपने बच्चे का भी पूरा ध्यान रखा. आप बस उस बच्ची की स्थिति के बारे में सोचिए जो अपने लिए कपड़े नहीं चुन सकती थी, वो एक बच्चे को नैपी पहनाती थी. जो खुद खाने-पीने के लिए अपने मां-बाप मुंह ताकती थी वो अपने बच्चे को दूध पिलाती थी.
खैर समय बीता और लीना ने डॉक्टर लोजाडा की क्लीनिक में ही नौकरी कर ली. डॉक्टर ने ही लीना की पढ़ाई और उसके बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाया.
साल 1972 में लीना ने रॉल जुराडो नाम के एक शख्स से शादी कर ली और वो अपने पति के साथ लीमा में रहने लगीं. भले ही लीना का नाम दुनिया जानती है लेकिन लीना खुद इसके बारे में बात करना पसंद नहीं करती हैं. उन्होंने किसी भी तरह का पब्लिक इंटरव्यू देने से साफ मना कर दिया और उस एक सवाल पर आज भी उनकी चुप्पी कायम है...
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लीना मेडिना का जन्म 27 सितंबर 1933 को पेरू के एक छोटे से गांव तिकरापो में हुआ था. लीना दुनिया की सबसे कम उम्र की डॉक्यूमेंटेड मां हैं. लीना एक रेयर कंडिशन precocious puberty के साथ जन्मी थीं. ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें जननांग बहुत जल्दी विकसित हो जाते हैं. आमतौर पर लड़कियों में जननांगों का विकास 10 साल की उम्र में शुरू होता है और लड़कों में 11-12 साल में लेकिन लीना को आठवें महीने से ही पीरियड्स होना शुरू हो गए थे. चार साल की उम्र में ही उनके ब्रेस्ट पूरी तरह विकसित हो गए थे.
जब लीना पांच साल की हुईं तो अचानक उनका पेट बढ़ने लगा. उनकी मां विक्टोरिया को लगा कि उनकी बेटी के पेट में ट्यूमर हो गया है. या उनकी बेटी पर किसी बुरी आत्मा का साया है. वो लीना को लेकर अस्पताल पहुंची.
अस्पताल में लीना की जांच की गई और परिणाम ने वहां मौजूद लोगों को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को चौंका दिया. पांच साल की बच्ची, जो खुद अपनी मां के हाथ से निवाला खाती थी, प्रेग्नेंट थी...वो एक बच्चे को जन्म देने वाली थी. जिस समय लीना अस्पताल पहुंचीं वो आठ माह की गर्भवती थीं.
डॉक्टर गेराल्डो लोजाडा ने लीना का केस अपने हाथ में लिया. 14 मई 1939 को लीना ने एक स्वस्थ और लगभग छह पौंड के वजन वाले बच्चे को जन्म दिया. मां के जननांग का आकार छोटा था इसलिए सर्जरी से ही डिलीवरी की गई. उस समय लीना की उम्र पांच साल सात महीने और 17 दिन थी. इत्तेफाक की बात ये थी 1939 में जिस दिन लीना मां बनीं, उसी दिन मदर्स डे भी था.
लीना के डॉक्टर के सम्मान में बच्चे का नाम भी गेराल्डो रखा गया. ये बच्चा 40 वर्ष की उम्र तक जिंदा रहा लेकिन बोन मैरो की बीमारी हो जाने की वजह से 1979 में उसकी मौत हो गई. कई साल तक तो गेराल्डो, लीना को अपनी बहन ही मानते रहे. लेकिन जब वो 10 साल के हुए तो उन्हें अपनी मां की सच्चाई पता चली.
लीना ने कभी भी अपने बच्चे के पिता का नाम नहीं बताया. लीना की हालत को देखते हुए उनके पिता को ही आरोपी माना गया. वो गिरफ्तार भी हुए लेकिन सुबूतों के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया.गया. वहीं लीना से जब भी इस बाबत पूछा जाता वो शांत हो जाती और कुछ भी नहीं बोलती. मानो उसे कुछ पता ही नहीं...याद ही नहीं.
लीना ने खुद को भी संभाला और अपने बच्चे का भी पूरा ध्यान रखा. आप बस उस बच्ची की स्थिति के बारे में सोचिए जो अपने लिए कपड़े नहीं चुन सकती थी, वो एक बच्चे को नैपी पहनाती थी. जो खुद खाने-पीने के लिए अपने मां-बाप मुंह ताकती थी वो अपने बच्चे को दूध पिलाती थी.
खैर समय बीता और लीना ने डॉक्टर लोजाडा की क्लीनिक में ही नौकरी कर ली. डॉक्टर ने ही लीना की पढ़ाई और उसके बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाया.
साल 1972 में लीना ने रॉल जुराडो नाम के एक शख्स से शादी कर ली और वो अपने पति के साथ लीमा में रहने लगीं. भले ही लीना का नाम दुनिया जानती है लेकिन लीना खुद इसके बारे में बात करना पसंद नहीं करती हैं. उन्होंने किसी भी तरह का पब्लिक इंटरव्यू देने से साफ मना कर दिया और उस एक सवाल पर आज भी उनकी चुप्पी कायम है...
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